बनारस में रहते हुये छः महीने हो गये। छोटे बड़े इक्यावन से अधिक शिव मंदिरों के दर्शन हुये और महसूस होता है कि अभी तो बहुत कम है बाक़ी शिव तो हृदय में विराजते हैं ही।
बीते सोमवार शोधार्थीबंधुओं के साथ काशी के कुछ महत्वपूर्ण शिव मंदिर के दर्शन हुये।
रामेश्वरम,काशी में स्थित प्राचीन मंदिर जहां भगवान राम पुष्पक से उतरकर सीता सहित वरुणा तट पर पूजा अर्चना कर आगे को प्रस्थान किये थे ऐसी मान्यता है।तट इस पार असंख्येश्वर मंदिर जहां वानर सेना से शिवलिंग स्थापित कर पूजा अर्चना की थी।
इसी क्रम में इन मंदिरों से पूर्व पांचों शिवाला मंदिर का दर्शन करते हुये हम रामेश्वर पहुंचे थे। पांचों शिवाला मंदिर महाराज युधिष्ठिर ने स्थापित किया था , स्वयंभू महादेव बाबा विश्वनाथ के नाक की सीध में हैं इसलिए इनसे जुड़ी बहुत सी किवदंतियां प्रचलित हैं । कुछ किंवदंतिया रेनुकोट, गाजीपुर , सोनभद्र आदि के पीठ ,मठ और पंचमुखी महादेव की कहानियों से यद्यपि मेल खाती हैं लेकिन जो विशेष है वहीं अशेष है और वह है कण कण में व्यापी अविनाशी के प्रति श्रद्धा ,प्रेम और विश्वास।
हर हर महादेव।